ये तेरी सागर सी गहरी ऑखियों का असर है,
या है तेरी लहराती जुल्फों की खता।
शायद ये तेरी मीठी मुस्कान का कहर है,
या शायद मेरा इश्क-ए-फितूर ही है वजह।
खैर, वजह चाहे जो भी हो,
पर मैं तो पगला गया।
चल रहा था चुपचाप
अपनी सीधी सी राह पे,
न जाने कब मै तुमसे टकरा गया।
कुछ बदल से गए हैं हम
जबसे हुए हैं तुमसे रूबरू।
करता रहूँ तुमसे वो समझदारी भरी बातें,
यही है इस दिल की आरज़ू।
इस दुनिया में तन की सुंदरता तो बहुत है,
पर मन की सुंदरता को खोज पाना
है ज़रा मुश्किल।
लेकिन तु तो लाखों में एक है,
क्योंकि तु दोनों ही श्रेणियों में है शामिल।
ये तेरी सादगी और ये तेरे विचार,
ये तेरा आचरण और ये तेरे संस्कार,
सब लाज़वाब है।
कभी-कभी तो लगता है कि
तु हकीकत है?
या मेरा कोई प्यारा सा ख़्वाब है।
जाने ये किसका कसूर है?
जो छा गया मुझपर,
तेरा और सिर्फ तेरा सुरुर है।
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